मानसून केरल पहुंच चुका है। इसके सभी मानक पूरे हो गए हैं। मौसम विभाग थोड़ी देर में इसकी पूरी डिटेल बताएगा। दक्षिण पश्चिम मानसून के केरल में पहुंचने की स्थितियां कुछ दिन पहले ही बनना शुरू हो गई थीं। हालांकि, इस बार मानसून समय से 2 दिन देरी से है। लेकिन निजी एजेंसी स्काईमेट पहले ही अनुमान जता चुकी है इस बार बारिश सामान्य से बेहतर 103% होगी।
मानसून ने अंडमान में 21 मई को दस्तक दी थी। 27 मई को आधे श्रीलंका और मालदीव को पार करने के बाद मजबूत हवाओं की कमी के चलते 7 दिन तक मानसून की उत्तरी सीमा कोमोरिन सागर में ही ठहर गई थी।
केरल में पिछले 4 दिन से प्री-मानसून बारिश जारी है। बुधवार को यहां सैटेलाइट इमेज में तटवर्ती इलाकों और उससे सटे दक्षिण पूर्व अरब सागर में बादल छाए नजर आए। मौसम विज्ञान विभाग (IMD) का कहना है कि केरल में बारिश वितरण में बढ़ोतरी हुई है। दक्षिण सागर के निचले स्तरों में पछुआ हवाएं चल रही हैं।
मानसून की घोषणा के ये 3 मानक हैं
1. केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक के 14 मौसम केंद्रों में से 60% केंद्रों पर 10 मई के बाद लगातार दो दिनों तक 2.5 मिमी से अधिक बारिश होनी चाहिए।
2. जमीनी सतह से 4.5 किमी ऊंचाई तक पश्चिमी हवाएं चलने लगने लगे, सतह के करीब इसकी गति 30 से 35 किमी/घंटा तक हो।
3. बादलों की मोटाई इतनी अधिक हो कि जमीन से आसमान की ओर लौटने वाला रेडिएशन 200 वॉट/वर्गमीटर से कम हो जाए।
लगातार तीसरे साल अच्छी बारिश होगी
इस बार मानसून सामान्य से बेहतर रहने का अनुमान है। स्काईमेट के मुताबिक भारत में इस साल जून से सितंबर के दौरान औसत बारिश 907 मिलीमीटर हो सकती है। पूरे भारत में चार महीनों के दौरान औसत 880.6 मिलीमीटर बारिश होती है, जिसे लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) कहते हैं।
स्काईमेट इसे ही औसत मानकर चलती है। यानी बारिश का यह आंकड़ा 100% माना जाता है। इस साल 907 मिलीमीटर बारिश होने की संभावना है। 2021 में मानसून के दौरान 103% बारिश होने की संभावना है। 96% से लेकर 104% की बारिश को सामान्य से बेहतर बारिश कहा जाता है। 2019 में यह आंकड़ा 110% और 2020 में 109% रहा था। यानी इस बार लगातार तीसरे साल अच्छे मानसून का फायदा मिलेगा।