कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को पहला गोल्ड मेडल हासिल हुआ है. भारत की वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने वादा पूरा किया और पहला स्वर्ण पदक जीता. चानू ने महिलाओं की 49 किग्रा भारोत्तोलन स्पर्धा में सोना जीतने के लिए कुल 201 किग्रा भार उठाया. यह इस खेल से भारत का दिन का तीसरा पदक था. संकेत सरगर (रजत) और गुरुराजा (कांस्य) ने दिन में पहले डिलीवरी की. गोल्ड कोस्ट में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली चानू प्रतियोगिता से मीलों आगे थीं क्योंकि उन्होंने स्नैच में 88 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 113 किग्रा भार उठाया था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘असाधारण. मीराबाई चनू ने भारत को एक बार फिर गौरवान्वित किया! हर भारतीय इस बात से खुश है कि उन्होंने बर्मिंघम खेलों मे एक स्वर्ण पदक जीता और एक नया राष्ट्रमंडल रिकॉर्ड बनाया. उनकी सफलता कई भारतीयों को प्रेरित करती है, विशेषकर नए एथलीटों को.
स्नैच राउंड में मीराबाई ने उठाया 88 किग्रा वजन
स्नैच राउंड में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण, जिसने उन्हें नया कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड बनाया. मीराबाई को क्लीन एंड जर्क राउंड में अपना पहला प्रयास पूरा करने की आवश्यकता थी और उन्होंने इसे 105 किग्रा भार उठाकर किया. सोना हासिल करने के लिए उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 113 किग्रा भार उठाया. उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में 119 किग्रा की कोशिश की, लेकिन लिफ्ट पूरी नहीं कर सकीं, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उसने राष्ट्रमंडल खेलों में अपना दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया.
दूसरे नंबर की खिलाड़ी से 29 किग्रा ज्यादा उठाया वजन
मीराबाई ने प्रतियोगिता में जीत हासिल की, उन्होंने मॉरीशिया की रोइल्या रानाइवोसोआ (76 किग्रा + 96 किग्रा) से 29 किग्रा अधिक भार उठाया, जिन्होंने रजत पदक जीता. कनाडा की हन्ना कामिंस्की ने कुल 171 किग्रा (74 किग्रा + 97 किग्रा) भार उठाकर कांस्य पदक अपने नाम किया. मीराबाई भारत में सबसे अधिक प्रचलित भारोत्तोलकों में से एक हैं.
टोक्यो ओलिंपिक में चानू ने जीता था सिल्वर मेडल
कॉनवेल्थ गेम्स 2022 में फिर से गोल्ड मेडल जीतने से पहले उनके पास राष्ट्रमंडल खेलों में रजत (2014) और स्वर्ण (2018) था. उन्होंने 2017 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक भी जीता और कई राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप पदक और एक एशियाई चैंपियनशिप पदक भी जीता. उनके करियर का मुख्य आकर्षण पिछले साल टोक्यो में आया था, जब वह सिडनी 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी द्वारा जीते गये कांस्य पदक को पीछे छोड़ते हुए ओलंपिक खेलों में भारत की पहली रजत पदक विजेता बनी थीं.